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मताधिकार बहुत ही मुद्दतों बाद आज वो दिखी मुझे.। म

 मताधिकार 
बहुत ही मुद्दतों बाद आज वो दिखी मुझे.।
मताधिकार के लिए खड़ी थी मतदान की कतार में.। 
उसे देख मन हर्षित हुआ मिली प्यासे नयनो तृप्ति मुझे.। 
वही फूलों सा चमक चेहरा,चमक चांदनी की काली घनेरी जुल्फें। 
वही अधरों की मुस्कान, वही मृग जैसी चंचलता भरी आँखें।। 
कुछ भी तो ना बदला उसका ना चाल ना ढाल। 
लेकिन बहुत हद तक जाते - जाते बदल गई वो मुझे।।
 मताधिकार 
बहुत ही मुद्दतों बाद आज वो दिखी मुझे.।
मताधिकार के लिए खड़ी थी मतदान की कतार में.। 
उसे देख मन हर्षित हुआ मिली प्यासे नयनो तृप्ति मुझे.। 
वही फूलों सा चमक चेहरा,चमक चांदनी की काली घनेरी जुल्फें। 
वही अधरों की मुस्कान, वही मृग जैसी चंचलता भरी आँखें।। 
कुछ भी तो ना बदला उसका ना चाल ना ढाल। 
लेकिन बहुत हद तक जाते - जाते बदल गई वो मुझे।।