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Stranger क्या कभी सुना शादीशुदा stranger। आज कल एक

Stranger
क्या कभी सुना शादीशुदा stranger।
आज कल एक नया trend शुरू हो गया।
जहा पति पत्नी साथ होकर भी साथ नहीं होते।
निभाते हैं हर रिश्ता मगर दिल नहीं मिलते।
कोशिश नहीं करते  एक दूसरे को समझने की।
बन कर अजनबी रात गुजार देते हैं
 बात किए ना जाने  कितने दिन गुजर जाते हैं।
बना कर डाकिया बच्चो को।
एक दूसरे से काम करवाए जाते हैं।
कभी बच्चो के लिए कभी मा बाप की खातिर।
खुद को बांध लेते हैं।
कभी विचारो की लड़ाई कभी स्वाभिमान की।
बस खुद साबित करने में लग जाते हैं।
बंद कमरों में कैद हो जाती चींखें।
बाथरूम में आंसूओ के सैलाब आते है।
बस दिखावे में गुजरती है ज़िन्दगी।
पूछ लेता है जब भी कोई हाल दिल का।
सब ठीक है कह कर लीपापोती  करते हैं।
सौ सौ बहाने बनाते हैं साथ साथ जाने में।
झूठ बातों से रिश्ते निभाए जाते हैं।
बोझ समझ कर ढोहते है अपनी ज़िंदगी।
दिल कैसे कैसे समझाए जाते हैं।
बना लेते हैं अपना अपना दायरा।
बस खुद में सिमट जाते हैं।
फिर ढूंढते हैं दोस्ती बाहर जा कर।
कुछ अनजान रिश्ते बना लेते हैं।
पति पत्नी भी stranger बन जाते हैं।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj #GateLight
Stranger
क्या कभी सुना शादीशुदा stranger।
आज कल एक नया trend शुरू हो गया।
जहा पति पत्नी साथ होकर भी साथ नहीं होते।
निभाते हैं हर रिश्ता मगर दिल नहीं मिलते।
कोशिश नहीं करते  एक दूसरे को समझने की।
बन कर अजनबी रात गुजार देते हैं
 बात किए ना जाने  कितने दिन गुजर जाते हैं।
बना कर डाकिया बच्चो को।
एक दूसरे से काम करवाए जाते हैं।
कभी बच्चो के लिए कभी मा बाप की खातिर।
खुद को बांध लेते हैं।
कभी विचारो की लड़ाई कभी स्वाभिमान की।
बस खुद साबित करने में लग जाते हैं।
बंद कमरों में कैद हो जाती चींखें।
बाथरूम में आंसूओ के सैलाब आते है।
बस दिखावे में गुजरती है ज़िन्दगी।
पूछ लेता है जब भी कोई हाल दिल का।
सब ठीक है कह कर लीपापोती  करते हैं।
सौ सौ बहाने बनाते हैं साथ साथ जाने में।
झूठ बातों से रिश्ते निभाए जाते हैं।
बोझ समझ कर ढोहते है अपनी ज़िंदगी।
दिल कैसे कैसे समझाए जाते हैं।
बना लेते हैं अपना अपना दायरा।
बस खुद में सिमट जाते हैं।
फिर ढूंढते हैं दोस्ती बाहर जा कर।
कुछ अनजान रिश्ते बना लेते हैं।
पति पत्नी भी stranger बन जाते हैं।
#अनुराज

©Anuraag Bhardwaj #GateLight