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# क्योंकि हर वफा ज़िन्द-ए-अफ़ज़ल | English Shayar

क्योंकि हर वफा ज़िन्द-ए-अफ़ज़ल फतेह नही होती है 
दिल का हर ज़ख्म कहीं दिल का कँवल बनता है 
जब शहंशाह भी हो इश्क़ भी हो दौलत भी हो
तब कहीं जाके कोई ताज महेल बनता है

क्योंकि हर वफा ज़िन्द-ए-अफ़ज़ल फतेह नही होती है दिल का हर ज़ख्म कहीं दिल का कँवल बनता है जब शहंशाह भी हो इश्क़ भी हो दौलत भी हो तब कहीं जाके कोई ताज महेल बनता है #Shayari

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