ख़्वाहिश दिल की अधूरी न रह जाए। जज्बात कहीं आँसुओं में न बह जाए। छुपाने से कुछ हासिल होता नहीं यहाँ। जो बात हो दिल में एक बार तो कह जाए। मुमकिन न होगा खुद को संभाल पाना। गर दिल की बात दिल में ही रह जाए। आँसुओं की धार रोके नहीं रुकती फिर। गर इश्क़ की बात से दिलबर मुकर जाए। इश्क़ है वो मेरा और ख़ुदा मेरी इबादत की। मिले जो न हम तो ये दर्द कैसे सह जाए। ♥️ Challenge-569 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।