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वो है हाथों मुरली सजाए हुए, अपने धुन पे जगत को नचा

वो है हाथों मुरली सजाए हुए,
अपने धुन पे जगत को नचाते फिरे,
वो ग्रह और तारों का शासक भी ,
वो कण में और उसका नाभिक भी है।
वो करता नहीं युद्ध करवाता है,
वो सच के लिए सबसे लड़ जाता है।
वो देता है जीवन चलाता भी है,
उसकी मुस्कान से जाग चमक जाता है।
वो सोता नहीं योग निद्रा में है,
वो अजगर के चिर नींद तंद्रा में है।

©Sumit Mishra
  #HappyDhanteras2023