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ईश्वर की अनुपम कृति को क्यों देता है दुख है इंसान,

ईश्वर की अनुपम कृति को क्यों देता है दुख है इंसान,
आकांक्षा की गठरी छोटी कर महंगी है जज्बात यहांँ,

वाटिका भी अब सूनी है वह पहले जैसी चहचहाहट कहांँ,
कहां  ढूंढ  रहा  सुकून  ए  मनवा  अब  दिल आबाद कहांँ,

मतलब की इस दुनिया में कर अवलोकन इच्छाओं का,
साम्य बना दिल और दिमाग में अब पहले जैसी बात कहाँ,

अब कोई ना छत पर प्यार निभाए अब वह समान नहीं,
अहंकार,  मोह, लोभ में डूबा है संसार अब वह मुलाकात कहाँ,

आमोद , प्रमोद और हर्ष उल्लास से खिल उठता था  यह दिल,
अब लोचन शर्म नहीं , अब मतलब परस्त हैं ख्यालात यहाँ। Sublime Inscriptions brings you
Weekly challenge 🖤 WCSI008 🖤
#SI_दिल_आबाद_कहाँ [Is my heart affluent]

Collab open for all.
सहभागिता सबके लिए खुली है।
Maintain aesthetics.
शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखें ।
ईश्वर की अनुपम कृति को क्यों देता है दुख है इंसान,
आकांक्षा की गठरी छोटी कर महंगी है जज्बात यहांँ,

वाटिका भी अब सूनी है वह पहले जैसी चहचहाहट कहांँ,
कहां  ढूंढ  रहा  सुकून  ए  मनवा  अब  दिल आबाद कहांँ,

मतलब की इस दुनिया में कर अवलोकन इच्छाओं का,
साम्य बना दिल और दिमाग में अब पहले जैसी बात कहाँ,

अब कोई ना छत पर प्यार निभाए अब वह समान नहीं,
अहंकार,  मोह, लोभ में डूबा है संसार अब वह मुलाकात कहाँ,

आमोद , प्रमोद और हर्ष उल्लास से खिल उठता था  यह दिल,
अब लोचन शर्म नहीं , अब मतलब परस्त हैं ख्यालात यहाँ। Sublime Inscriptions brings you
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mrsrosysumbriade8729

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