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सुनो जब सावन रुत आती है तो तुम्हारी तस्वीर बन जाती

सुनो जब सावन रुत आती है
तो तुम्हारी तस्वीर बन जाती है।

झूमती घटा ऐसे गरज जाती है
जैसे तेरे दिल का हाल सुनाती है।

बरखा की बूँदें जो चूम जाती हैं
मुझे तुम्हारी शरारत याद आती है।

हवाएँ भी मदहोश कर जाती हैं
लगता है तुम्हें छूकर आती है।

अब और क्या क्या बताऊँ मैं तुम्हें
तुम समझ जाओ मुझे लाज आती है। सुनो जब सावन रुत आती है
तो तुम्हारी तस्वीर बन जाती है।

झूमती घटा ऐसे गरज जाती है
जैसे तेरे दिल का हाल सुनाती है।

बरखा की बूँदें जो चूम जाती हैं
मुझे तुम्हारी शरारत याद आती है।
सुनो जब सावन रुत आती है
तो तुम्हारी तस्वीर बन जाती है।

झूमती घटा ऐसे गरज जाती है
जैसे तेरे दिल का हाल सुनाती है।

बरखा की बूँदें जो चूम जाती हैं
मुझे तुम्हारी शरारत याद आती है।

हवाएँ भी मदहोश कर जाती हैं
लगता है तुम्हें छूकर आती है।

अब और क्या क्या बताऊँ मैं तुम्हें
तुम समझ जाओ मुझे लाज आती है। सुनो जब सावन रुत आती है
तो तुम्हारी तस्वीर बन जाती है।

झूमती घटा ऐसे गरज जाती है
जैसे तेरे दिल का हाल सुनाती है।

बरखा की बूँदें जो चूम जाती हैं
मुझे तुम्हारी शरारत याद आती है।
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator