"एक तरफ इंसानों में हाहाकार दूजा प्रकृति का निर्मल आकार" आत्मचिंतन हेतु करता हैं... मजबूर..?? क्यों न ...??? सप्ताह में एक दिन माह में चार दिन साल में पचास दिन का "लाकडाउन" होता !!!! ,समयानुकूल ऋतुएँ...साथ ही निस्वार्थ प्रेम दे पाती । और माँ की भांति सदैव बच्चों के साथ न्याय कर पाती । क्योंकि .. है बंधन में स्वयं 'प्रकृति' उसे जो अर्पित करेगें वही हमें समर्पित होगा। #अंशिवा#