लबों तक आ के दो आधे शब्द रुके, तुमसे प्यार करते है तरीक़े अजब रुके! रुकनी चाहिए थी जिस बात पे साँसे, बे-असर हो गए जज़्बात तेरे ग़ज़ब रुके! है शिकायत उसको मुझसे कैसी ?, शिकवा उनका क्यूँ मेरी ही तरफ़ रुके! उनके कूचे से ना लेके जाना जनाजा मेरा, हरकत में ना आ जाए कही मेरी नब्ज रुके! ™¶§šB¶शु§भ¶ 👇#लबों #तक #आ #के दो आधे शब्द रुके, तुमसे प्यार करते है तरीक़े अजब रुके! रुकनी चाहिए थी जिस बात पे साँसे, बे-असर हो गए जज़्बात तेरे ग़ज़ब रुके! है शिकायत उसको मुझसे कैसी ?, शिकवा उनका क्यूँ मेरी ही तरफ़ रुके!