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राज़-ए-उल्फ़त छिपा लेना हल न था, उनको भी हमारे साथ

 राज़-ए-उल्फ़त छिपा लेना हल न था,
उनको भी हमारे साथ कदम मिला कर चलना था ..!थोड़े से फासले क्या हुए दरमियां हमारे,
फ़ैसले उन्होंने अकेले लिए, आना वो कभी पल न था..!
जो सोचा और जो चाहा वो कभी मिला नहीं,
उनका साथ छोड़ना सिर्फ हमको ही खलना था..!

©SHIVA KANT
  #raaz_ae_ulfat