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पुरानी ऐनक जब भी रख्खा देखा मैंने अलमारी में उसकी

पुरानी ऐनक
जब भी रख्खा देखा मैंने अलमारी में उसकी ऐनक को हजारों यादें उभर आईं
वह मचलती सी उछलती कूदती शालिनी सहमी सी नज़र आई 
पहली बार जब उसने ऐनक पहने तो मानो ऐसा लगा 
पता नहीं कितना बड़ा बोझ उसे झेलना है
फिर धीरे-धीरे उसे हो चली थी आदत 
हर वर्ष कम से कम एक नई ऐनक उसे चाहिए थी जमाने के साथ चलने के लिए 
ड़ांट पड़ने पर कनखियों से उसका धीरे से मुझे देखना आज भी याद है 
ऐनक उसकी चेहरे की शान बन गई।
यू एस जाने से पहले दो ऐनक बनवा लिए कहा मां बहुत महंगे बनेंगे यही से ले जाती हूं
फिर पता नहीं कब मैं वापस आऊं और बनवाओ 
मैंने भी हां भरदी पर क्या पता था कि सच में वह फिर नहीं बनेगी 
अपनी प्रिय ऐनक के साथ सरोवर में डूब गई 
वह तो निर्जीव बाहर आई पर उसकी ऐनक उसी में समा गई 
बची ऐनक को निहारती हूं उसकी हर अदा याद करके भावुक हो जाती हूं 
 अब भी उसकी हर ऐनक को संभाल कर रखा है
जब मन आता है तो उन्हें समेट कर यादें ताजा करती हूं 
अपनी प्यारी बिटिया की धरोहर को सहेज कर आज भी रखा है जब भी रख्खा देखा मैंने अलमारी में उसकी ऐनक को हजारों यादें उभर आईं
वह मचलती सी उछलती कूदती शालिनी सहमी सी नज़र आई 
पहली बार जब उसने ऐनक पहने तो मानो ऐसा लगा 
पता नहीं कितना बड़ा बोझ उसे झेलना है
फिर धीरे-धीरे उसे हो चली थी आदत 
हर वर्ष कम से कम एक नई ऐनक उसे चाहिए थी जमाने के साथ चलने के लिए 
ड़ांट पड़ने पर कनखियों से उसका धीरे से मुझे देखना आज भी याद है 
ऐनक उसकी चेहरे की शानबन गई।
पुरानी ऐनक
जब भी रख्खा देखा मैंने अलमारी में उसकी ऐनक को हजारों यादें उभर आईं
वह मचलती सी उछलती कूदती शालिनी सहमी सी नज़र आई 
पहली बार जब उसने ऐनक पहने तो मानो ऐसा लगा 
पता नहीं कितना बड़ा बोझ उसे झेलना है
फिर धीरे-धीरे उसे हो चली थी आदत 
हर वर्ष कम से कम एक नई ऐनक उसे चाहिए थी जमाने के साथ चलने के लिए 
ड़ांट पड़ने पर कनखियों से उसका धीरे से मुझे देखना आज भी याद है 
ऐनक उसकी चेहरे की शान बन गई।
यू एस जाने से पहले दो ऐनक बनवा लिए कहा मां बहुत महंगे बनेंगे यही से ले जाती हूं
फिर पता नहीं कब मैं वापस आऊं और बनवाओ 
मैंने भी हां भरदी पर क्या पता था कि सच में वह फिर नहीं बनेगी 
अपनी प्रिय ऐनक के साथ सरोवर में डूब गई 
वह तो निर्जीव बाहर आई पर उसकी ऐनक उसी में समा गई 
बची ऐनक को निहारती हूं उसकी हर अदा याद करके भावुक हो जाती हूं 
 अब भी उसकी हर ऐनक को संभाल कर रखा है
जब मन आता है तो उन्हें समेट कर यादें ताजा करती हूं 
अपनी प्यारी बिटिया की धरोहर को सहेज कर आज भी रखा है जब भी रख्खा देखा मैंने अलमारी में उसकी ऐनक को हजारों यादें उभर आईं
वह मचलती सी उछलती कूदती शालिनी सहमी सी नज़र आई 
पहली बार जब उसने ऐनक पहने तो मानो ऐसा लगा 
पता नहीं कितना बड़ा बोझ उसे झेलना है
फिर धीरे-धीरे उसे हो चली थी आदत 
हर वर्ष कम से कम एक नई ऐनक उसे चाहिए थी जमाने के साथ चलने के लिए 
ड़ांट पड़ने पर कनखियों से उसका धीरे से मुझे देखना आज भी याद है 
ऐनक उसकी चेहरे की शानबन गई।