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क़ैद कर लो तुम मुझे, सानिध्य की परिधि समझ। उड़ र

क़ैद कर लो तुम मुझे, 
सानिध्य की परिधि समझ।

उड़ रही हूं मैं हवा में,
 रह न जाऊं कहीं उलझ।

हो चला है मन मेरा,
 आसक्त तुझ में डूब कर।
 
उलझनों से आ घिरी हूं,
राह ना दिखती सहज।

©Anuj Ray
  #कैद करलो तुम मुझे...
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Anuj Ray

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#कैद करलो तुम मुझे... #कविता

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