हमारे सारे ही अरमाँ तुमने तिल-तिल करके राख किए, जबसे तुम मेरा दिल तोड़ कर किसी और के साथ हुए। तुम्हारी ख्वाहिशों के लिए हमने सब कुछ लुटा दिया, अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए तुम हमसे दूर हुए। अपना समझ कर, कर दी थी जिंदगी तुम्हारे हवाले, तुम निकले बेगैरत जो थे कभी हमारे अब गैरों के हुए। मुझपे इल्जाम लगाने से पहले अपना दामन झाँक जरा, हम तो सदा से थे तेरे पर तुम ही कभी हमारे नहीं हुए। जिंदगी के हर मोड़ हर मुश्किल में तुम्हारा साथ दिया, छोड़कर बीच मझधार में"एक सोच"को तुम किनारे हुए। ♥️ Challenge-638 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।