मेरे हृदय की हर आह पहचानती है, दूध के रिश्ते को मांँ दिल से निभाती है, मेरी महक को मांँ दिल में बसाती है, लोगों से छुपाए अपने आंसू , हर बात पर मुस्कुराई मैं , मेरी आंखों से छलकते अश्क जानती है मांँ, मां है ना मेरा दर्द पहचानती हैं। जन्म पाया तो सूरत पहली उसकी देखी, दर्द में थी मांँ मेरी, मेरा चेहरा देख तुरंत मुस्कुरा दी, उठ भी सकती थी पर मैं भूखी थी तो हर दर्द सह गई माँ। प्रथम चरण जिंदगी में आया, लोगों ने क्या कुछ वहकाया, अपने लहू को पहचानती थी मांँ, मेरा हर बात पर साथ निभाया। दूसरे चरण में शादी हुई, संस्कार दिए ऐसे पति को परमेश्वर मानती थी मांँ, समझौता करना सिखाया, हर मुसीबत में खुद के साथ मांँ को पाया, मुसीबतों में कहां डगमगाती है मांँ, हर कदम हौसला बढ़ाती है मांँ। तीसरे चरण में मांँ बनी, एक मुस्कान बच्चे की तस्कीन हुई, मांँ बनकर समझ आया, कैसी हिम्मत लाती थी मांँ, कोमल कली से पहचान बन जाती है मांँ, बच्चों की सुरक्षा की बात आए तो, चंडी का अवतार भी हो जाती है मांँ। Aesthetic Thoughts मेरे हृदय की हर आह पहचानती है, दूध के रिश्ते को मांँ दिल से निभाती है, मेरी महक को मांँ दिल में बसाती है, लोगों से छुपाए अपने आंसू , हर बात पर मुस्कुराई मैं , मेरी आंखों से छलकते अश्क जानती है मांँ,