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जबसे तुम्हारा नाम सुना, ना देखा ना जाना, बस तुम्ह

जबसे तुम्हारा नाम सुना, 
ना देखा ना जाना,
बस तुम्हारी हो गई । 

जहा देखूं तुम ही तुम हो,
भोर भी तुम, मेरी सांझ भी तुम,
प्राण भी तुम हर श्वास भी तुम,
अब तो मेरी आस भी तुम।

सुनकर छबि जो मन में बसाई,
बस वही चित्र बन आई,
हर स्वर हर गीत में तुम हो,
ना जाने क्यों कुछ और ना भावे।

ये प्रीत है कैसी कोई आकर मुझे बता दे।।

©Heer
  कैसी ये प्रीत है।।
heertrivedi5954

Heer

New Creator

कैसी ये प्रीत है।। #Poetry

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