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काश जुलाई में ऐसा हो जाएं, उनसे फिर मुलाक़ात हो जा

काश जुलाई में ऐसा हो जाएं,
उनसे फिर मुलाक़ात हो जाए!

ढूंढ रही हैं सूखी अंखियां मेरी,
मिलो तो मीठे जज़्बात हो जाए!

बुला रही है वो टपरी कब से,
फ़िर वही चाय एक साथ हो जाए!

उमड़ रहे हैं गहने बदरा भी,
वो दिखे और बरसात हो जाए!

-JD #जुलाई में
काश जुलाई में ऐसा हो जाएं,
उनसे फिर मुलाक़ात हो जाए!

ढूंढ रही हैं सूखी अंखियां मेरी,
मिलो तो मीठे जज़्बात हो जाए!

बुला रही है वो टपरी कब से,
फ़िर वही चाय एक साथ हो जाए!

उमड़ रहे हैं गहने बदरा भी,
वो दिखे और बरसात हो जाए!

-JD #जुलाई में
jkd04108205

JD

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