हम पत्थर के पुतलों को रब मान रहे हैं, और आँखें मूंदे दिन को *शब मान रहे हैं?? *रात, Night उसको किसने देखा है? आए बताए, सब, अपने हिसाब से अपने मतलब मान रहे हैं. हमने तुम से उम्मीद लगाई थी हम अब, ख़ुद ही को ख़ुद के दुःख का *सबब मान रहे हैं. *कारण, Reason तेरे इंसां तेरी पूजा तो करते हैं, तेरे इंसां तेरा कहा कब मान रहे हैं. सच क्या है कौन सुने किसको पड़ी है "फकीरा" सब बस अपना अपना मज़हब मान रहे हैं. पेश है एक ताज़ा ग़ज़ल... #ghazalgo_fakeera to read ghazals #yqbaba #yqdidi #sher #ghazal