विचलित नहीँ होना मन मेरे कितनी ऊंची हो चाहे लहरें कितने गहन हो अभी अंधेरे जब पतवार हाथों में है मेरे चाहे शिव ही मुझसे मुँह फेरें ना हार मानना, रहे ध्यान तेरे लगेंगे किनारे किसी शाम-सवेरे विचलित न होना, अभी मन मेरे विचलित न होना, कभी मन मेरे सुप्रभात। परिस्थितियों से व्यथित नहीं होना मन मेरे विचलित नहीं होना मन मेरे... #विचलितमतहोना #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi