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#OpenPoetry मैं भी बदल सकता था मगर नहीं बदला! मैं

#OpenPoetry मैं भी बदल सकता था मगर नहीं बदला! 
मैंने इश्क़ का ये हसीं सफ़र नहीं बदला!

दिल,ज़िहन,रूह जिस्म सब है खाली-खाली! 
मेरी ज़िन्दगानी से ये सिफ़र नहीं बदला! 

हाल यूँ बेहाल देख सब समझाए मुझ को! 
अबकी जाँ से जाऊँगा अगर नहीं बदला!

राब्ता क्या तोड़ा मैंने कू-ए-यार से सनम! 
सबने सोचा मैं बदल गया पर नहीं बदला! 

बदलेगी सनम कभी इस तवक़्क़ो में रहा मैं! 
लेकिन बेदर्दी बड़ा है हमसफ़र नहीं बदला! 

वही गंदी नज़र वही भद्दी सोच मुसलसल! 
आज भी लोग नहीं बदले ये शहर नहीं बदला! मैं भी बदल सकता था मगर नहीं बदला! 
मैंने इश्क़ का ये हसीं सफ़र नहीं बदला!

दिल,ज़िहन,रूह जिस्म सब है खाली-खाली! 
मेरी ज़िन्दगानी से ये सिफ़र नहीं बदला! 

हाल यूँ बेहाल देख सब समझाए मुझ को! 
अबकी जाँ से जाऊँगा अगर नहीं बदला!
#OpenPoetry मैं भी बदल सकता था मगर नहीं बदला! 
मैंने इश्क़ का ये हसीं सफ़र नहीं बदला!

दिल,ज़िहन,रूह जिस्म सब है खाली-खाली! 
मेरी ज़िन्दगानी से ये सिफ़र नहीं बदला! 

हाल यूँ बेहाल देख सब समझाए मुझ को! 
अबकी जाँ से जाऊँगा अगर नहीं बदला!

राब्ता क्या तोड़ा मैंने कू-ए-यार से सनम! 
सबने सोचा मैं बदल गया पर नहीं बदला! 

बदलेगी सनम कभी इस तवक़्क़ो में रहा मैं! 
लेकिन बेदर्दी बड़ा है हमसफ़र नहीं बदला! 

वही गंदी नज़र वही भद्दी सोच मुसलसल! 
आज भी लोग नहीं बदले ये शहर नहीं बदला! मैं भी बदल सकता था मगर नहीं बदला! 
मैंने इश्क़ का ये हसीं सफ़र नहीं बदला!

दिल,ज़िहन,रूह जिस्म सब है खाली-खाली! 
मेरी ज़िन्दगानी से ये सिफ़र नहीं बदला! 

हाल यूँ बेहाल देख सब समझाए मुझ को! 
अबकी जाँ से जाऊँगा अगर नहीं बदला!