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विरह वेदना मेरे सांसों में अब भी अपनी गंध पाओगे ल

विरह वेदना

मेरे सांसों में अब भी अपनी गंध पाओगे
लाख बार भूलो फिर भी मेरा बंध पाओगे
मुझे भाव नहीं दो तो ना घबराऊंगा
तुझे फिर से मनाने का प्रबंध पाओगे।

हम दोनों के हामी से हि ये रिश्ता बना था
दो - दो हाथ से भावों का गुलदस्ता बना था
मेरे कमियों का आभास तुझको पूरा था
जनम से आदमी हूं मैं ना फरिश्ता बना था।

मेरा मन इक झटके में हो जाता था पावन
जब बच - बचके करता था तेरा अवलोकन
जब तेरे नाम को भजनों कि तरह जपता था
मेरे कामि मन का भी हो जाता था शोधन।

तुझे श्रीराम जैसा कोई कमल नयन मिले
फिर भी प्रेमी मन का भी तनिक हौसला ना हिले
चूंकि धीरज से मेरा बेहद घनिष्ठ नाता है
मैं शबरी हूं मेरा प्रेम सदियों से खिले। विरह वेदना
विरह वेदना

मेरे सांसों में अब भी अपनी गंध पाओगे
लाख बार भूलो फिर भी मेरा बंध पाओगे
मुझे भाव नहीं दो तो ना घबराऊंगा
तुझे फिर से मनाने का प्रबंध पाओगे।

हम दोनों के हामी से हि ये रिश्ता बना था
दो - दो हाथ से भावों का गुलदस्ता बना था
मेरे कमियों का आभास तुझको पूरा था
जनम से आदमी हूं मैं ना फरिश्ता बना था।

मेरा मन इक झटके में हो जाता था पावन
जब बच - बचके करता था तेरा अवलोकन
जब तेरे नाम को भजनों कि तरह जपता था
मेरे कामि मन का भी हो जाता था शोधन।

तुझे श्रीराम जैसा कोई कमल नयन मिले
फिर भी प्रेमी मन का भी तनिक हौसला ना हिले
चूंकि धीरज से मेरा बेहद घनिष्ठ नाता है
मैं शबरी हूं मेरा प्रेम सदियों से खिले। विरह वेदना

विरह वेदना