खुशियाँ अनगिनत है इस दुनिया में, उनसे दूर भागता कौन है, दुःख भी चलते सुख के समांतर, मगर उसे चाहता कौन है, समंदर की लहरे दिखती खूबसूरत, चिर उन्हें गहराई में तैरता कौन है, ऊपर देखो आसमान नीला, ओर उसके ऊंची उड़ाने भरता कौन है, कई सवाल इस दुनिया में, जवाब उनका ढूंढता कौन है, आनाजाना लगा रहता है इस जिंदगी में साहब, यहां पांव टिकाए ठहरता कौन है! खुशियाँ अनगिनत है इस दुनिया में, उनसे दूर भागता कौन है, दुःख भी चलते सुख के समांतर, मगर उसे चाहता कौन है, समंदर की लहरे दिखती खूबसूरत, चिर उन्हें गहराई में तैरता कौन है, ऊपर देखो आसमान नीला, ओर उसके ऊंची उड़ाने भरता कौन है,