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भक्ति के रास्ते मे 3 शत्रु या बाधा हैं। दूसरा: बगु

भक्ति के रास्ते मे 3 शत्रु या बाधा हैं।
दूसरा: बगुला या बकासुर ,दम्भ का प्रतीक
एक पैर पर खड़ा लगेगा तप कर रहा है,जनसामान्य में" बगुला भगत" कहते हैं ढोंगी लोगों को  ,पाखंड का प्रतीक है यह।
अभी साल दो साल बीता , और दम्भ के कारण आगे का रास्ता नही चलते,अपने आप को बहुत बड़े ज्ञानी और सिद्ध समझ प्रवचन करना और दुसरों से श्रेष्ठ समझना शुरू कर देते हैं। जहाँ बनावट ,दिखावट है वहां गिरावट है।
शबरी माता को नवधा भक्ति का उपदेश करते हुए श्रीरामजी कहते हैं,
नवम सरल सब सन छलहीना।
मम भरोस हियँ हरष न दीना।। 
अर्थात,नौवीं भक्ति है  छल कपट का मार्ग छोड़ दूर रहना  और किसी भी अवस्था में हर्ष और विषाद का न होना।
आज के युग की विडंबना है कि सरलता मिलना मुश्किल हो गया है।
मैंने उसे बुद्धु बना दिया,ऐसे बात कही कि उसे समझ न आया और मूर्ख बना कर अपना काम निकाल लिया,इसमे लोग अपनी बड़ाई मानते हैं।
अगर कोई चाहे कि सबको वश में कर लें, तो सरल हो जाइए, हमारी जटिलता हीं हमें सबसे अलग करती है, जैसे भीतर से हो वैसे हीं बाहर से हो जाए, या जैसे बाहर से हैं वैसे भीतर से हो जाएं।
॥जय श्री हरि॥
(part2,भाग२)
satyprabha💕 दूसरा बगुला या बकासुर ,दम्भ का प्रतीक
एक पैर पर खड़ा लगेगा तप कर रहा है,जनसामान्य में" बगुला भगत" कहते हैं ढोंगी लोगों को  ,पाखंड का प्रतीक है यह।
अभी साल दो साल बीता , और दम्भ के कारण आगे का रास्ता नही चलते,अपने आप को बहुत बड़े ज्ञानी और सिद्ध समझ प्रवचन करना और दुसरों से श्रेष्ठ समझना शुरू कर देते हैं। जहाँ बनावट ,दिखावट है वहां गिरावट है।
शबरी माता को नवधा भक्ति का उपदेश करते हुए श्रीरामजी कहते हैं,
नवम सरल सब सन छलहीना।
मम भरोस हियँ हरष न दीना।। 
अर्थात,नौवीं भक्ति है  छल कपट का मार्ग छोड़ दूर
भक्ति के रास्ते मे 3 शत्रु या बाधा हैं।
दूसरा: बगुला या बकासुर ,दम्भ का प्रतीक
एक पैर पर खड़ा लगेगा तप कर रहा है,जनसामान्य में" बगुला भगत" कहते हैं ढोंगी लोगों को  ,पाखंड का प्रतीक है यह।
अभी साल दो साल बीता , और दम्भ के कारण आगे का रास्ता नही चलते,अपने आप को बहुत बड़े ज्ञानी और सिद्ध समझ प्रवचन करना और दुसरों से श्रेष्ठ समझना शुरू कर देते हैं। जहाँ बनावट ,दिखावट है वहां गिरावट है।
शबरी माता को नवधा भक्ति का उपदेश करते हुए श्रीरामजी कहते हैं,
नवम सरल सब सन छलहीना।
मम भरोस हियँ हरष न दीना।। 
अर्थात,नौवीं भक्ति है  छल कपट का मार्ग छोड़ दूर रहना  और किसी भी अवस्था में हर्ष और विषाद का न होना।
आज के युग की विडंबना है कि सरलता मिलना मुश्किल हो गया है।
मैंने उसे बुद्धु बना दिया,ऐसे बात कही कि उसे समझ न आया और मूर्ख बना कर अपना काम निकाल लिया,इसमे लोग अपनी बड़ाई मानते हैं।
अगर कोई चाहे कि सबको वश में कर लें, तो सरल हो जाइए, हमारी जटिलता हीं हमें सबसे अलग करती है, जैसे भीतर से हो वैसे हीं बाहर से हो जाए, या जैसे बाहर से हैं वैसे भीतर से हो जाएं।
॥जय श्री हरि॥
(part2,भाग२)
satyprabha💕 दूसरा बगुला या बकासुर ,दम्भ का प्रतीक
एक पैर पर खड़ा लगेगा तप कर रहा है,जनसामान्य में" बगुला भगत" कहते हैं ढोंगी लोगों को  ,पाखंड का प्रतीक है यह।
अभी साल दो साल बीता , और दम्भ के कारण आगे का रास्ता नही चलते,अपने आप को बहुत बड़े ज्ञानी और सिद्ध समझ प्रवचन करना और दुसरों से श्रेष्ठ समझना शुरू कर देते हैं। जहाँ बनावट ,दिखावट है वहां गिरावट है।
शबरी माता को नवधा भक्ति का उपदेश करते हुए श्रीरामजी कहते हैं,
नवम सरल सब सन छलहीना।
मम भरोस हियँ हरष न दीना।। 
अर्थात,नौवीं भक्ति है  छल कपट का मार्ग छोड़ दूर

दूसरा बगुला या बकासुर ,दम्भ का प्रतीक एक पैर पर खड़ा लगेगा तप कर रहा है,जनसामान्य में" बगुला भगत" कहते हैं ढोंगी लोगों को  ,पाखंड का प्रतीक है यह। अभी साल दो साल बीता , और दम्भ के कारण आगे का रास्ता नही चलते,अपने आप को बहुत बड़े ज्ञानी और सिद्ध समझ प्रवचन करना और दुसरों से श्रेष्ठ समझना शुरू कर देते हैं। जहाँ बनावट ,दिखावट है वहां गिरावट है। शबरी माता को नवधा भक्ति का उपदेश करते हुए श्रीरामजी कहते हैं, नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हियँ हरष न दीना।। अर्थात,नौवीं भक्ति है छल कपट का मार्ग छोड़ दूर #विचार