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#OpenPoetry वो लड़की , कुछ शरमाई सी ,कुछ घबराई सी

#OpenPoetry वो लड़की ,

कुछ शरमाई सी ,कुछ घबराई सी ,
कुछ अपनी सी ,कुछ पराई सी,
 रहती है मुझमे , रूह की तरह,
     उठती हुई अज़ान सी ,
   अंजानो में ,मेरी पहचान सी ,
मुझे मुझसे मिलाती है ,
रूबरू जब भी वो आती है ,
महक सा जाता हूँ मैं ,
गुलाब की तरह ,
छा जाता है नाश उसका मुझपे,
नकाब की तरह ,
मुझमे ,मुझसे ज्यादा रहती है ,
ना कुछ लबो से वो कहती है ,
बस चुपके से देखता हूँ उसे ,
वो कुछ शरमाई कुछ घबराई सी रहती है ,
                                  

                     वो लड़की ।। #OpenPoetry
#OpenPoetry वो लड़की ,

कुछ शरमाई सी ,कुछ घबराई सी ,
कुछ अपनी सी ,कुछ पराई सी,
 रहती है मुझमे , रूह की तरह,
     उठती हुई अज़ान सी ,
   अंजानो में ,मेरी पहचान सी ,
मुझे मुझसे मिलाती है ,
रूबरू जब भी वो आती है ,
महक सा जाता हूँ मैं ,
गुलाब की तरह ,
छा जाता है नाश उसका मुझपे,
नकाब की तरह ,
मुझमे ,मुझसे ज्यादा रहती है ,
ना कुछ लबो से वो कहती है ,
बस चुपके से देखता हूँ उसे ,
वो कुछ शरमाई कुछ घबराई सी रहती है ,
                                  

                     वो लड़की ।। #OpenPoetry