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रात के अंधेरे में भी जगा रखा है ख़ुद को मज


 रात के अंधेरे में भी
 जगा रखा है ख़ुद को 
    मजबूरी होगी
    शायद यही कुछ
 दो वक्त की मजदूरी होगी।।

©लेखक ओझा
  मजबूरी होगी

मजबूरी होगी #Shayari

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