मैं एक तरफ की ही बात दिल में लिए बैठ गए। उस चाय की कस के साथ, दिल की बात तुमसे कहते। तुमने किसी और जाहील की बात कर, अपने दिल की बात कह दी। मै तुमसे प्यार करता हू, और एक मुस्कान के साथ उस चाय की कस को अपने आप तक ही रख लिए। खोना तो तुमको नहीं चाहता पर खो दिया हू। प्यार भी तुमसे करता हूं, पर अब कहना भूल गया हूं। प्यार मैं तुमसे नहीं करता अब तुमसे इश्क हो गया है। तुम्हें किसी और के साथ देख थोड़ा आशिकों की तरह जल लूंगा, तुम खुश हो बस और क्या, मैं तन्हाई में जी लूंगा। मैं इतना सोचने लगा अब शायर भी पूरा बन गया हूं। चाय ठंडी हो रही है और हमारी आखरी चाय को मैं ठंडी नहीं होने देना चाहता हूं। इस वक्त को मैं यहीं रोकना चाहता हूं, फिसलती रेत और तुझको थामना चाहता हूं। ©© © Sajal Kumar Gupta