Nojoto: Largest Storytelling Platform

रोज सुबह उठकर सबसे पहले मैं मां को निहारता हूं छू

रोज सुबह उठकर सबसे पहले मैं मां को निहारता हूं
छू कर चरण उनके अपना दिन संवारता हूं
बिना मां के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता मैं
पर ये सिर्फ एक दिन के दिखावे को मैं प्यार नही मानता हूं!!

मेरी सुबह, मेरी शाम, मेरा दिन मेरी रात, मेरा हर पल है मेरी मां
मेरी गुरु, मेरी दोस्त, मेरी पूजा,मेरा प्यार है मेरी मां
कुछ दिनों की भी मां से जुदाई बर्दाश्त नहीं मुझको
मेरी रूह, मेरी सांसे, मेरी जिंदगी, मेरी दुनिया है मेरी मां!!

पापा की लिखावट, मां की बनावट से मेरी काया है
आसमान से भी बड़ा मां के आंचल की छाया है
और समुंदर की गहराई तो माप सकते आसानी से
पर जिसे मापा ना जा सके वो दुलार सिर्फ मां से ही तो पाया है!!



कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #Happy_Mothers_Day 
#Love_you_Maa❤️😘❤️❤️😘😘
रोज सुबह उठकर सबसे पहले मैं मां को निहारता हूं
छू कर चरण उनके अपना दिन संवारता हूं
बिना मां के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता मैं
पर ये सिर्फ एक दिन के दिखावे को मैं प्यार नही मानता हूं!!

मेरी सुबह, मेरी शाम, मेरा दिन मेरी रात, मेरा हर पल है मेरी मां
मेरी गुरु, मेरी दोस्त, मेरी पूजा,मेरा प्यार है मेरी मां
कुछ दिनों की भी मां से जुदाई बर्दाश्त नहीं मुझको
मेरी रूह, मेरी सांसे, मेरी जिंदगी, मेरी दुनिया है मेरी मां!!

पापा की लिखावट, मां की बनावट से मेरी काया है
आसमान से भी बड़ा मां के आंचल की छाया है
और समुंदर की गहराई तो माप सकते आसानी से
पर जिसे मापा ना जा सके वो दुलार सिर्फ मां से ही तो पाया है!!



कवि : इंद्रेश द्विवेदी (पंकज)

©Indresh Dwivedi #Happy_Mothers_Day 
#Love_you_Maa❤️😘❤️❤️😘😘