इश्क़ और चर्चा आजकल चल रही बड़ी, मँहगाई प्यार की डिमांड है ज्यादा, कम है सप्लाई प्यार की ! सामान हो चुका है, दिल का अहसास भी कभी दो की भाव बिकता है कभी चार की ! लैला मजनूं भी व्यापारी बन गए आजकल फ़ायदा नहीं तो फिर बात क्या इंतेज़ार की ! दिल लेना देना महज़ एक सौदा बन गया कभी नक़द ख़ुशी तो ग़म कभी उधार की ! नापतौल कर होती मुहब्बत नई हवा में मलय हैसियत कितनी है कितना भाव बाज़ार की ! मलय #इश्क़ की चर्चा