अरसो लगे है तुझसे अपने दुःख बाटे ना जाने लोग ख़ुशियो में इतना कैसे याद कर लेते है गम की बरसात कई बार हुइ मगर शामिल न था मेरे गम में कोई तेरे तस्वीर से बाते करते करते न जाने कब ये साल गुजर गयी अब तो बस मै बची हु उन सूखे पत्तों की तरह जैसे एक हरे भरे पेड़ पर लटकी रहती है शाख की तरह तेरी यादे दिल से ना जाए बस यही दुआ करती रहती हु उसी ने जिंदा रखा है मुझे एक खुली किताब बन के।। Spcl