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Blue Moon ज़िम्मेदारियाँ निगलती सपने, ज़िन्दगी लगती

Blue Moon  ज़िम्मेदारियाँ निगलती सपने,
ज़िन्दगी लगती ज़हर..!

ज़िद्द का ज़िला नहीं मन का मिला,
क्या गाँव क्या शहर..!

दुःख के दरिया दूर न रहते,
सहते जीवन में क़यामती क़हर..!

सुख की घड़ी रुकी न एक पल,
बीते न ग़म के पहर..!

दिल की दुआ रही यही,
हो जाये ख़ुदा की महर..!

पर मिला न कोई हमारे जैसा,
ज़िन्दगी रही यूँ ही खण्डहर..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #bluemoon #jimmedariyan