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White तकलीफ़ों में गुज़रता जीवन, नहीं अपनों को एहसा

White  तकलीफ़ों में गुज़रता जीवन,
नहीं अपनों को एहसास..!
कैसे जियें किससे लगायें,
हम रहमत की आस..!

जज़्बातों की ज़मीं ख़िसकती,
अल्फ़ाज़ों का दरकता आकाश..!
ख़ुशियाँ लूटते डाकू बन अपने,
रिश्तों में फँसे हम उदास..!

अंत निकट नज़र आने लगा,
अरमानों की कँधे पे लाश..!
कब तक रखें ख़ुश उन्हें,
जो हरदम रहें निराश..!

हमारी हार का लगा रहे हैं,
जो पहले से क़यास..!
जीत कर दिखायेंगे उन्हें,
हम तरक्की का प्रभास..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Free #rahmatkiaas