परदेसी अपना घर, परिवार छोड़ चले, छोड़ चले वो गालियां जहां बचपन बीता, चले थे चंद रुपया कमाने, आज अपने ही शहर में परदेसी हो गए। छोड़ चले परिवार का दुलार, छोड़ चले दोस्तों की वो मस्तियां, चले थे बड़े शहर में नाम कमाने, आज अपने ही शहर में परदेसी हो गए। छोड़ चले मां के हाथो का खाना, छोड़ चले पिता का स्नेह, चले थे बड़े शहर में घर छोड़ मकान बनाने, आज अपने ही शहर में परदेसी हो गए। याद आती है वो गालियां, वो दिन, याद आता है वो दुलार, वो मस्तियां, चले थे अपनों को छोड़ नए रिश्ते बनाने, आज अपने ही शहर में परदेसी हो गए। #passenger #missing #misinghome #yqbaba #yqdidi #yqquotes