काल के जंजाल में तिनके सा खोता जा रहा हूँ, चेतना घटती निरन्तर जड़ सा होता जा रहा हूँ! ख्वाब था खुशबू बिखेरुं धूप सा जलकर सदा, पर अँगीठी के धुएं सा व्यर्थ होता जा रहा हूँ! ख्वाब था ब्रह्माण्ड की ध्वनि ॐ से अनुनाद हो, पर अहं की तीव्र प्रतिध्वनि में हिलोरें खा रहा हूँ! ख्वाब था नवसृजन में ही लीन रहने का निरन्तर, पर यहाँ जड़वत पड़ा ढर्रे पे जीता जा रहा हूँ! नवचेतना भर दो प्रभू , तुम साथ हो ये भान हो, हर नई बाधा पे मैं विश्वास खोता जा रहा हूँ! #life #philosophy #yqdidi #yqbaba #hindi