यादें आँगन की सँग लेकर आई हूँ! पिया मिलन ख़ातिर, मायका छोड़ आई हूँ। मैं चिड़िया बगिया की सुनी कर आई हूँ! फुदकते थे जो क़दम, वह मोड़ छोड़ आई हूँ। माँ की पल्लू अश्रु से भिगोकर आई! बाबा के दिल पर पत्थर रखकर आई हूँ। सजी आँखों को नम किया है मैंने, सूखे बंजर में जैस बरसात छोड़ आई हूँ। भूलकर सपनें सभी,पिया के ख्वाब सजाई हूँ। आजीवन साथ निभाने के लिए साजन... अपने बाबुल का दामन छोड़ कर आई हूँ! दोनों रिश्ते बने रहे हर विकल्प अपनाई हूँ। बाबा का प्यार, माँ के संस्कार आँचल में बाँध लाई हूँ! बहन की परछाई भाई की लाड निशानी साथ लाई हूँ! पुराने रिश्तों के संग-संग नए रिश्ते जोड़ने आई हूँ.. अपनी मुस्कुराहट के छाप हर कोने छोड़ आई हूँ! यादें आँगन की सँग लेकर आई हूँ!। पिया मिलन ख़ातिर, मायका छोड़ आई हूँ!। ♥️ Challenge-728 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।