रिवाज-ए-क़फ़स में दफ़न आरजू-ए-इच्छा, रूढ़िवादी मान्यताओं के बोझ तले, क्यों है ऐसी प्रथा , खड़ी चुपचाप कोने में, आंचल में मुंह छुपाए कुछ कह सके ऐसा उसको हक नहीं। सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 आप सभी से मेरा निवेदन है शीर्षक का आपकी रचना में होना अनिवार्य है , 🎀