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जो स्वर ज़हन में गूंजतें हैं रात-दिन, कौन ही देता

जो स्वर ज़हन में गूंजतें हैं रात-दिन,
कौन ही देता उन्हें आवज तुम बिन!

जो तुम्हारे कंठ से निकला हर कंठ ने गाया,
इतना सुरीला-सुमधुर कोई पहले नहीं आया।— % & #yqsavar
#yqjahan 
#yqaavaj 
#yqraat
#yqdin
#yqsaumitr
जो स्वर ज़हन में गूंजतें हैं रात-दिन,
कौन ही देता उन्हें आवज तुम बिन!

जो तुम्हारे कंठ से निकला हर कंठ ने गाया,
इतना सुरीला-सुमधुर कोई पहले नहीं आया।— % & #yqsavar
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