ना चाहते हुए उसे देख रहा हूँ लगता है यादों के सिरहाने मैं सो रहा हूँ । आदत मेरी इतनी बुरी भी नहीं यार अपनी ही साज़िश में यूँ फस रहा हूँ । बेज़ार लम्हों का अब क्या ही मलाल करूँ मैं अपनी ही मसान पर लेट अफ़साने बुन रहा हूँ। इतनी शिद्दत से मत पूछा करो यार क़ैफ़ियत मेरी मैं आजकल बड़े वहम में जी रहा हूँ । ताल्लुकात भी नहीं रही अब साँसो से मेरी मुमकिन मैं शायद उसके बाँहों में ही खो रहा हूँ । इश्क पे कहे अश'आर ज़ायाضائع नहीं हो सकते कामिल इब्तिदा से ही मैं इन आँखों को ख़ूँ कर रहा हूँ । #पेश है एक ग़जल #kunalpoetry #yqdidi #yqbaba #kunu #gajal #myfeelings #lovequotes