फिर आहट वो सुनी तुम आए तो नहीं उस रंज-ए-इश्क की इबादत तो नहीं ख़्वाबों की ढेरियों पर तुमने अश्क़ बिछा दिए सज़ा गम-ए-तन्हाई की क्यों सुनाई अपने लिए, फिर आहट वो सुनी तुम आए तो नहीं उस रंज-ए-इश्क की इबादत तो नहीं तसव्वुर की तकदीर में पन्ने तुमने कुछ लिख दिए मेरे पढने से पहले ही क्यूं मिटा दिए, फिर आहट वो सुनी तुम आए तो नहीं उस रंज-ए-इश्क की इबादत तो नहीं तेरे इश्क का अंदाज यही बेजोड़ है इल्ज़ाम की फहरिस्त में मेरा नाम ही दर्ज है, फिर आहट वो सुनी तुम आए तो नहीं उस रंज-ए-इश्क की इबादत तो नहीं। #yqghazal #yqaestheticthoughts #yqsadfeelings #मेरीक़लमसे #yqkavitahindi #शायरी #yqlovequotes #गजल