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सुनो कॉमरेड, तुमसे जुड़ा कोई ख्वाब आज भी नींदों से

सुनो कॉमरेड,
तुमसे जुड़ा कोई ख्वाब आज भी नींदों से जगा देता है।यूं तन्हा रातों में जब भी तुम मेरा हाथ थाम टिमटिमाते तारों को देखती हो तो वो दिन याद आते हैं।जब हम हॉस्टल की छत से तारों को एक नाम देते थे।मतलब वो तीन तारों वाले डंडे को तुमने ही तो कहा था ये थ्री ईडियट्स हैं और मैं हंस पड़ा था।वैसे प्रेम भी कितनी अजीब चीज होता है,हैं न।अच्छे भले को पागल और पागल को प्रेमी बना देता है। इस जमाने की नजरों में।सच बताओ तो मुझे बिन तारों के चांद वाली रात बहुत खूबसूरत लगती है।क्युकी चांद उस दिन कुछ तुमसा लगता है।वैसे आज भी तुमसे बतियाकर ऐसा लगता है जैसे वो पुराने दिन वापस आ गए हों जब मैं यूनिनॉर की फ्री कॉलिंग पर तुम्हारे संग अपने वक्त को कीमती बनाता था।तुमने मुझे सदैव साहस दिया।लेकिन आज कल ना जाने क्यूं तुम्हारा मुझ पर हक जताना मुझे बैचैन कर देता है।तुम्हारी एक तस्वीर को देख अपनी तकदीर बदलने वाला मैं,ना जाने क्यूं आज भी गौरांवित महसूस नहीं कर पाता।अब तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे 
तुम मेरे जीवन का वो स्वप्न थी जो कच्ची नींद में ही टूट गया।समझ नही आया अभी तक मैं  अचानक कैसे जाग गया।
....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR सुनो कॉमरेड,
तुमसे जुड़ा कोई ख्वाब आज भी नींदों से जगा देता है।यूं तन्हा रातों में जब भी तुम मेरा हाथ थाम टिमटिमाते तारों को देखती हो तो वो दिन याद आते हैं।जब हम हॉस्टल की छत से तारों को एक नाम देते थे।मतलब वो तीन तारों वाले डंडे को तुमने ही तो कहा था ये थ्री ईडियट्स हैं और मैं हंस पड़ा था।वैसे प्रेम भी कितनी अजीब चीज होता है,हैं न।अच्छे भले को पागल और पागल को प्रेमी बना देता है। इस जमाने की नजरों में।सच बताओ तो मुझे बिन तारों के चांद वाली रात बहुत खूबसूरत लगती है।क्युकी चांद उस दिन कुछ तुमसा लगता है।वैसे आज भी तुमसे बतियाकर ऐसा लगता है जैसे वो पुराने दिन वापस आ गए हों जब मैं यूनिनॉर की फ्री कॉलिंग पर तुम्हारे संग अपने वक्त को कीमती बनाता था।तुमने मुझे सदैव साहस दिया।लेकिन आज कल ना जाने क्यूं तुम्हारा मुझ पर हक जताना मुझे बैचैन कर देता है।तुम्हारी एक तस्वीर को देख अपनी तकदीर बदलने वाला मैं,ना जाने क्यूं आज भी गौरांवित महसूस नहीं कर पाता।अब तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे 
तुम मेरे जीवन का वो स्वप्न थी जो कच्ची नींद में ही टूट गया।समझ नही आया अभी तक मैं  अचानक कैसे जाग गया।
....#जलज कुमार
सुनो कॉमरेड,
तुमसे जुड़ा कोई ख्वाब आज भी नींदों से जगा देता है।यूं तन्हा रातों में जब भी तुम मेरा हाथ थाम टिमटिमाते तारों को देखती हो तो वो दिन याद आते हैं।जब हम हॉस्टल की छत से तारों को एक नाम देते थे।मतलब वो तीन तारों वाले डंडे को तुमने ही तो कहा था ये थ्री ईडियट्स हैं और मैं हंस पड़ा था।वैसे प्रेम भी कितनी अजीब चीज होता है,हैं न।अच्छे भले को पागल और पागल को प्रेमी बना देता है। इस जमाने की नजरों में।सच बताओ तो मुझे बिन तारों के चांद वाली रात बहुत खूबसूरत लगती है।क्युकी चांद उस दिन कुछ तुमसा लगता है।वैसे आज भी तुमसे बतियाकर ऐसा लगता है जैसे वो पुराने दिन वापस आ गए हों जब मैं यूनिनॉर की फ्री कॉलिंग पर तुम्हारे संग अपने वक्त को कीमती बनाता था।तुमने मुझे सदैव साहस दिया।लेकिन आज कल ना जाने क्यूं तुम्हारा मुझ पर हक जताना मुझे बैचैन कर देता है।तुम्हारी एक तस्वीर को देख अपनी तकदीर बदलने वाला मैं,ना जाने क्यूं आज भी गौरांवित महसूस नहीं कर पाता।अब तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे 
तुम मेरे जीवन का वो स्वप्न थी जो कच्ची नींद में ही टूट गया।समझ नही आया अभी तक मैं  अचानक कैसे जाग गया।
....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR सुनो कॉमरेड,
तुमसे जुड़ा कोई ख्वाब आज भी नींदों से जगा देता है।यूं तन्हा रातों में जब भी तुम मेरा हाथ थाम टिमटिमाते तारों को देखती हो तो वो दिन याद आते हैं।जब हम हॉस्टल की छत से तारों को एक नाम देते थे।मतलब वो तीन तारों वाले डंडे को तुमने ही तो कहा था ये थ्री ईडियट्स हैं और मैं हंस पड़ा था।वैसे प्रेम भी कितनी अजीब चीज होता है,हैं न।अच्छे भले को पागल और पागल को प्रेमी बना देता है। इस जमाने की नजरों में।सच बताओ तो मुझे बिन तारों के चांद वाली रात बहुत खूबसूरत लगती है।क्युकी चांद उस दिन कुछ तुमसा लगता है।वैसे आज भी तुमसे बतियाकर ऐसा लगता है जैसे वो पुराने दिन वापस आ गए हों जब मैं यूनिनॉर की फ्री कॉलिंग पर तुम्हारे संग अपने वक्त को कीमती बनाता था।तुमने मुझे सदैव साहस दिया।लेकिन आज कल ना जाने क्यूं तुम्हारा मुझ पर हक जताना मुझे बैचैन कर देता है।तुम्हारी एक तस्वीर को देख अपनी तकदीर बदलने वाला मैं,ना जाने क्यूं आज भी गौरांवित महसूस नहीं कर पाता।अब तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे 
तुम मेरे जीवन का वो स्वप्न थी जो कच्ची नींद में ही टूट गया।समझ नही आया अभी तक मैं  अचानक कैसे जाग गया।
....#जलज कुमार

सुनो कॉमरेड, तुमसे जुड़ा कोई ख्वाब आज भी नींदों से जगा देता है।यूं तन्हा रातों में जब भी तुम मेरा हाथ थाम टिमटिमाते तारों को देखती हो तो वो दिन याद आते हैं।जब हम हॉस्टल की छत से तारों को एक नाम देते थे।मतलब वो तीन तारों वाले डंडे को तुमने ही तो कहा था ये थ्री ईडियट्स हैं और मैं हंस पड़ा था।वैसे प्रेम भी कितनी अजीब चीज होता है,हैं न।अच्छे भले को पागल और पागल को प्रेमी बना देता है। इस जमाने की नजरों में।सच बताओ तो मुझे बिन तारों के चांद वाली रात बहुत खूबसूरत लगती है।क्युकी चांद उस दिन कुछ तुमसा लगता है।वैसे आज भी तुमसे बतियाकर ऐसा लगता है जैसे वो पुराने दिन वापस आ गए हों जब मैं यूनिनॉर की फ्री कॉलिंग पर तुम्हारे संग अपने वक्त को कीमती बनाता था।तुमने मुझे सदैव साहस दिया।लेकिन आज कल ना जाने क्यूं तुम्हारा मुझ पर हक जताना मुझे बैचैन कर देता है।तुम्हारी एक तस्वीर को देख अपनी तकदीर बदलने वाला मैं,ना जाने क्यूं आज भी गौरांवित महसूस नहीं कर पाता।अब तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे तुम मेरे जीवन का वो स्वप्न थी जो कच्ची नींद में ही टूट गया।समझ नही आया अभी तक मैं अचानक कैसे जाग गया। ....#जलज कुमार