बेटी को पर्दे में रखना, पढ़ाई लिखाई, खेलकूद सब में कटौती करना, 'पराये घर जाना है।' का राग अलापना, रुखे सूखे खाने को संस्कार बताना, हंसने बतियाने, घूमने-फिरने पर लताड पिलाना, हर बात में त्याग, सहनशीलता और शांति की घुट्टी पिलाना, वह कैसी माँ? एसी संस्कारी बेटी बहू बन कर जाएगी और खुद का पाला हुआ कुसंस्कारी बेटे जैसा ही उसे पति मिल गया तो 'किस्मत का लिखा' कहकर पल्लू झाड़ लेती है, वह कैसी माँ? बेटे की बेवाजिब करतूतों में ही उसकी खुशी बताती है, अपने ही बेटे के भविष्य पर तलवार चलाती है, एसी गाँधारी कैसी माँ?बेटियों को तो सीता और द्रोपदी बनाती है बेटों को दुर्योधन और रावण बनाती है वह कैसी माँ? कुछ गिनी-चुनी कौशल्या, यशोदा होती है बाकी गाँधारी जैसी माओं, धृतराष्ट्र जैसे पिताओं को अब सिंहासन से उतारना होगा, उनको उनकी सही जगह बतानी होगी! © Anjali Jain वह कैसी माँ भाग 02 13-08-21 #stay_home_stay_safe