Jai Shri Ram निहाल हुई अयोध्या नगरी। सुन किलकारी त्रिभुवन सगरी।। ठुमक चले जब चारों भाई। मुदित हुई तब तीनों माई।। सुध-बुध खोए दशरथ राजा।कारज भूला सकल समाजा।काल प्रगति ज्यों करता जाता।समय निकट पढ़ने कोआता।। चारों गुरुकुल भेजे जाएँ।दशरथ बोले शिक्षा पाएँ।। विचार रानी से सब करके।पुत्रों से बोले जी-भरके।। महत्व गुरु का उन्हें बताया।गुरुकुल शिक्षा को समझाया ©Bharat Bhushan pathak #jaishriram poetry lovers poetry in hindi poetry quotes hindi poetry on life poetry on love