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मेरा जिस्म सिमटा जा रहा तेरी बाहों के घेरो के परि

मेरा जिस्म सिमटा जा रहा 
तेरी बाहों के घेरो के परिधि में।

तेरी मखमली तन का सुखद स्पर्श
रूहानी इश्क़ को समझा करीब से।

तेरी जिस्म का भौगोलिक-चित्रण देख
अदावत कर बैठा अपनी तहजीब से।

प्यार का सीमांकन करना है बाकी 
आओ पूरा कर ले नापकर जरीब से।

रंगत-ए-इश्क़ का कर ले स्थायी बंदोबस्त 
ताकि सदा दो-कड़ी दूर रहे तू मेरे रकीब से।

       @आशुतोष यादव #प्यार_का_एहसास #बाहों_में_बहती_फ़िज़ा #मखमली_होंठ
#जिस्म_और_रूह 
#Love  अंकित सारस्वत  PRATIK BHALA (pratik writes) sheetal pandya मेरे शब्द Prashant Kumar Tiwari Priya Gour
मेरा जिस्म सिमटा जा रहा 
तेरी बाहों के घेरो के परिधि में।

तेरी मखमली तन का सुखद स्पर्श
रूहानी इश्क़ को समझा करीब से।

तेरी जिस्म का भौगोलिक-चित्रण देख
अदावत कर बैठा अपनी तहजीब से।

प्यार का सीमांकन करना है बाकी 
आओ पूरा कर ले नापकर जरीब से।

रंगत-ए-इश्क़ का कर ले स्थायी बंदोबस्त 
ताकि सदा दो-कड़ी दूर रहे तू मेरे रकीब से।

       @आशुतोष यादव #प्यार_का_एहसास #बाहों_में_बहती_फ़िज़ा #मखमली_होंठ
#जिस्म_और_रूह 
#Love  अंकित सारस्वत  PRATIK BHALA (pratik writes) sheetal pandya मेरे शब्द Prashant Kumar Tiwari Priya Gour