मेरा जिस्म सिमटा जा रहा तेरी बाहों के घेरो के परिधि में। तेरी मखमली तन का सुखद स्पर्श रूहानी इश्क़ को समझा करीब से। तेरी जिस्म का भौगोलिक-चित्रण देख अदावत कर बैठा अपनी तहजीब से। प्यार का सीमांकन करना है बाकी आओ पूरा कर ले नापकर जरीब से। रंगत-ए-इश्क़ का कर ले स्थायी बंदोबस्त ताकि सदा दो-कड़ी दूर रहे तू मेरे रकीब से। @आशुतोष यादव #प्यार_का_एहसास #बाहों_में_बहती_फ़िज़ा #मखमली_होंठ #जिस्म_और_रूह #Love अंकित सारस्वत sheetal pandya मेरे शब्द