मेरे आंगन में रोशन दिया हो गया , आयो ये अंधिया ये तुम क्या हो गया, जिसने मंज़िल का दिया था हमको पता ना जाने कहा लापता हो गया, रोते रोते हो हम मुस्कुराने लगे , दोस्तो के साथ किए हर एक कराम , याद आने लगे,मैंने पूछा जो उनसे ज़िन्दगी का पता, वो तोड़ कर हमें फूल दिखने लगे , दो पल में रूप कर चल दिया कुछ इस तरह उनको मैंने में हमको ज़माने लगे । अगर मेरी ये कविता अच्छी लगी हो तो लाईक और शेयर करे के डी राजपूत OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की) #Shayari #Pomes #Jai Maa #Kerni #Mshadev