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बिछिया  अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बच

 बिछिया 


अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था। 


नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गय
 बिछिया 


अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था। 


नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गय

बिछिया  अनिमेश आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । बचपन से हीं अनिमेश के पिताजी ने ये उसे ये शिक्षा प्रदान कर रखी थी कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक आदमी का योग्य होना बहुत जरुरी है। अनिमेश अपने पिता की सिखाई हुई बात का बड़ा सम्मान करता था । उसकी दैनिक दिनचर्या किताबों से शुरू होकर किताबों पे हीं बंद होती थी । हालाँकि खेलने कूदने में भी अच्छा था।  नवम्बर का महिना चल रहा था। आठवीं कक्षा की परीक्षा दिसम्बर में होने वाली थी। परीक्षा काफी नजदीक थी। अनिमेश अपनी किताबों में मशगुल था। ठण्ड पड़नी शुरू हो गय