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ऐसा नहीं है कि हमने लिखना छोड़ दिया है कुछ अल्पविर

ऐसा नहीं है कि हमने लिखना छोड़ दिया है
कुछ अल्पविराम लगा, मन विराम पर छोड़ दिया है
ये मन ही तो दर्पण है इन शब्दों कविताओं का
कुछ पल इस दर्पण को.. हमने खुद पर ओढ़ लिया है
ऐसा नहीं है कि हमने लिखना छोड़ दिया है
न कोई शिकायतें बाकी है, न कोई दर्द तड़पा रहा है
शायद नई चोट के लिए, ये मन अब अटका जा रहा है
ये कलम भी यूं खुद चलती नहीं है
स्याही भी प्रेम, दुख, दर्द मांगती रही है
तलाश कुछ अब इसी की रह गई है 
कुछ रास्तों को हमने यूं ही मोड़ दिया है 
ऐसा नहीं है कि हमने लिखना छोड़ दिया है...

©Swati kashyap
  #ऐसा नहीं है, स्वरचित

#ऐसा नहीं है, स्वरचित #कविता

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