नजर जुड़ाती है आब की बूँदें चिपक गुलाब की पंखुड़ियों पर, कहर बड़पाती हैं बारिश की बूँदें बन तेजाब विरही बहुरियों पर! कि सहज नहीं लिखना सौम्य श्रृंगार सजन..... जठर मिटती है पर जाती न देह तपन अज़ाब कागज की पुड़ीयों को पढ़!!:) कोई सुधार करे! गुस्ताखी माफ़ 🌸🙏🌸 ©RAVINANDAN Tiwari #OneSeason #श्रृंगार_कच्ची_सड़क