#पंडित बिरजू महराज नहीं रहे #कथक नृत्य ((कथा कहे सो कथक कहलाये सुर,ताल, लय का मौन होना मृत्यु है, जब आप चुप हो गए... चारो ओर बहुत शोर है क्यूँ बिखरे घुंगरू, जरा समेटिये कुछ बोलिये, बहुत देर से मौन है )शब्दों की श्रद्धांजलि,शब्द भी आज लाचार बेबस है...... दिल ओर नुकसान नहीं उठा पायेगा.... कुछ बोलिये, बहुत देर से मौन है l ©Mallika