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कल तक राहें रौशन थी इंतजार था मोहब्बत थी अब स्याह

कल तक राहें रौशन थी इंतजार था मोहब्बत थी

अब स्याह है अंधेरा अमावस सी कोई आहट नहीं।

लोग बदल गए हैं या वक्त हीं है बदला हुआ कुछ 

हर चेहरे पे चढ़ा नकाब है इश्क में अब वो इबादत नहीं ।

©Savita Suman
  #इबादत