जीवन रसरी कितनी छोटी,समय व्यर्थ तुम नहीं करो।
नित्य दिवस जब भी तुम उठना, कर्मों पे ही ध्यान धरो।। कितना किसने नोट कमाया,कौन यहाँ पर निर्धन है।
भूखा देखो भूले हो ना,इसमें बस संवर्धन है।।
सब कुछ नश्वर जब इस जग में,फिर क्यों नफ़रत है दिखता। अपने मन का कभी न होता,होता वो जो ऊपर लिखता।।
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