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** ज़ुल्म और दर्द ** मुफ़लिसी का दंश

             ** ज़ुल्म और दर्द **
मुफ़लिसी  का   दंश   झेलता  है आदमी,
ज़ुल्म की सतहों को ,  खोलता है आदमी,
कब तक सहे वो ज़िस्म पर ,वक़्त के इस दर्द को,
जब छलकने लगे गागरी,तो बोलता है आदमी,

आँसुओ की  उसके  यहाँ , कीमत नही कोई,
तक़दीर  को संघर्षो में  ,  तौलता है आदमी,
एक टुकड़ा धूप का तो , मेरे हिस्से भी होगा,
ये सोचकर मौसम  को,  टटोलता है आदमी,

इतना भी आसान नही ,बेरहम भूख से लड़ना ,
जख्मों   में  अपने   सब्र ,  घोलता   है  आदमी,
जब  देखता परिवार को , मरते  हुए तिल तिल ,
कर्मो की पोटली लिए ,फ़िर  डोलता है आदमी।।

पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #ज़ुल्मऔरदर्द Badal Singh Kalamgar Sethi Ji PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' SINGER RAJKUMAR Suresh Gulia  Sunita Pathania Lalit Saxena Pooja Udeshi Poonam Suyal Anshu writer  R K Mishra " सूर्य " पथिक.. Mili Saha रविन्द्र 'गुल' ek shayar gyanendra pandey  Deepiitd "ARSH"ارشد अदनासा- Reema Mittal  shashi kala mahto  Bhavana kmishra Anil Ray Praveen Jain "पल्लव" Balwinder Pal शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन )